देखना वो दिन दूर नहीं
जब देशद्रोही पुरस्कृत होंगे
और देशभक्त फाँसी पर लटकाए जाएँगे
जैसे भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु
बहुत फर्क नहीं है तब में और अब में
हम फिर से धकेल दिए गए हैं अँधेरे युग में
राष्ट्र को गिरवी रखने वाला बना है सच्चा देशभक्त
इनके हाथ रँगे हैं खून से
इनके असली चेहरे नकाब से ऐसे ढके हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल है
जितनी खूबसूरती से बेचते हैं देश उतनी ही बेशर्मी से देश की
बेटियों की आबरू नीलाम करते हैं
बलात्कारआफ्ता निर्भया की माँ कहती हैं - रोते रोते आँसू सूख गए
और बलात्कारी बेखौफ हैं
कहाँ से और कैसे ऊपज रहे हैं हमारे ही बीच हममें से ही देशहित
का परचम फहराने वाले हत्यारे
जहाँ मुश्किल हो गया सच और झूठ का फर्क
हर आदमी देशद्रोही कहलाएगा जो सोचेगा और सवाल उठाएगा
चाहे रोहित वेमूला हो या कन्हैया
बचना उनसे और फर्क करना सीखना दोस्त
सच और झूठ में
दिन और रात में
बचाए रखना मनुष्यता किसी भी तरह
माना कि मुश्किल है
लेकिन नामुकिन नहीं दोस्त